राजस्थान के मंदिर || Temples of Rajasthan


● बाराँ के मंदिर

- भँड़देवरा मंदिर –
- ये टूट फूटा देवालय हैं ।
- ये मूल रूप से भगवान शिव का मंदिर हैं । लेकिन यहाँ गणेश , शक्ति , सूर्य ओर विष्णु की भी पूजा की जाती हैं ।
- इस कारण ये पंचायतन शैली में माना जाता हैं ।
- इसे 10 वी शताब्दी में मलीवर्मन के द्वारा बनवाया गया ।
- इसे हाड़ोती का खजुराहो तथा राजस्थान का मिनी खजुराहो कहा जाता हैं ।
- फुलदेवरा मंदिर –
- अटरू बाराँ
- इसे मामा भानजा का मंदिर भी कहा जाता हैं ।
- जबकि मामा भानजा की छतरी मेहरानगढ़ जोधपुर में हैं ।
- कल्याणराई मंदिर – शेरगढ़ , यहा प्रतिदिन 56 प्रकार का भोग लगाया जाता हैं ।
- काकुनी मंदिर – यहाँ राधा कृष्ण की पूजा होती हैं ।
● झालावाड़ के मंदिर

- सात सहेलियों का मंदिर –
- ये झालरा पाटन में स्थित हैं ।
- ये मूल रूप से भगवान सूर्य का मंदिर हैं । इस मंदिर में भगवान सूर्य को घुटने तक जूते पहले हुए दिखाया गया हैं ।
- इस मंदिर पर 2015 को 5 रुपए का डाक टिकट जारी किया गाया था ।
- इस मंदिर में भगवान सूर्य को राधिका पर सवार तरिमुखी दिखाया गया हैं ।
- यहा गर्भ गृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा होने के कारण कर्नल जेम्स टोड ने इसे चारभुजा का मंदिर कहा । जबकि चारभुजा नाथ का मंदिर मेड़ता नागोर में हैं ।
- इस मंदिर के दरवाजे पर भगवान शिव को तांडव रूप में दिखाया गया हैं । यही पर गणेश जी व माता पार्वती की प्रतिमा हैं । इस कारण यह मंदिर पंचायतन शैली में बना हुआ हैं ।
- शीतलेश्वर महादेव जी का मंदिर –
- ये झालरा पाटन चंद्रभागा नदी के किनारे बना हुआ हैं ।
- राजस्थान का सबसे प्राचीन तिथि अंकित मंदिर हैं । इसका निर्माण 689 में दुर्गुण के समय बापक के द्वारा करवाया गया ।
- चंद्रभागा नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा चंद्रभागा पशुमाला लगता हैं ।
- चंदखेड़ी जैन मंदिर – झालावाड़
- शांतिनाथ जैन मंदिर – झालावाड़
- मिनीयचर वुडन टेम्पल – ये लकड़ी का बना हुआ छोटा मंदिर हैं । लकड़ी के छोटे मंदिर को बेबान / देव विमान या बयान भी कहा जाता हीं । बेवान बस्सी चित्तोडगढ़ का प्रसिद्ध हैं ।
● अजमेर के मंदिर

- ब्रम्हा जी का मंदिर –
- ये पुष्कर का अजमेर में स्थित हैं ।
- इसका निर्माण गोकुल चंद पारिक द्वारा करवाया गया था ।
- इस मंदिर का निर्माण 1976 में राष्ट्रीय विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया ।
- यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेल लगता हैं। जिसे की रंगीन मेल कहा जाता हैं।
- यहाँ विश्व का प्रसिद्ध ब्रम्हा मंदिर हैं ।
- ब्रम्हा जी के अन्य मंदिर – छिंद बांसवाड़ा , आसोतरा बाड़मेर ।
- गायत्री जी मंदिर –
- रत्नागिरी पहाड़ी पर बना हुआ हैं ।
- सावित्री मंदिर –
- ये एक एस मंदिर हैं जिसमे महिलाएं भी पूजा करती हैं ।
- ये पुष्कर अजमेर में हैं ।
- यहाँ 2016 में राजस्थान का तीसरा रोप वे शुरू किया गया ।
- पहला – 2006 – सुंडा पर्वत जालोर
- दूसरा – 2008 – करनी माता मंदिर , उदयपुर
- प्रस्तावित 2015 में रघुनाथ मंदिर से नक्की झील की टोडरोक चट्टान सिरोही में किया ।
- वराह मंदिर –
- ये अजमेर में हैं ।
- इसका निर्माण अर्णोराज ने ओर पुनः निर्माण शक्ति सिंह जो की महाराणा प्रताप का भी था , ने करवाया ।
- यह भगवान विष्णु की वराह अवतार वाली प्रतिमा हीं ।
- रंगनाथ जी का मंदिर
- ये पुष्कर अजमेर में स्थित हैं ।
- यहाँ भगवान विष्णु के नर्सिंगह अवतार से संबंधित प्रतिमा लागि हुई हैं ।
- यह द्रविड़ शैली के समतुल्य सबसे बड़ा मंदिर है राजस्थान का
- काचरिया मंदिर- यह किशनगढ़ अजमेर में रुपनगढ़ नदी के किनारे बसा हुआ है. यहां पर निंबार्क पद्धति से पूजा होती है
- नवग्रहों का मंदिर- यह किशनगढ़ अजमेर में स्थित है
- सोनी जी का नथिया- यह अजमेर में स्थित है.
● बूंदी के मंदिर

- भगवान केशव का मंदिर-
- यह मंदिर केशव राय पाटन में छत्रसाल के द्वारा बनाया गया
- यह मंदिर चंबल नदी के किनारे बसा हुआ है
- चंबल नदी के सर्वाधिक गहराई इसे मंदिर के आसपास मानी जाती है
- चंबल नदी यहां पर धनुष आकार आकृति की हो जाती है
- यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है
- इस कारण इसे हाडोती का हरिद्वार भी कहा जाता है
- जबकि राजस्थान का या मेवाड़ का हरिद्वार मातृकुंडिया धाम को कहा जाता है जो कि चित्तौड़गढ़ में स्थित है
- यहां राजा रंतिदेव और भगवान परशुराम जी के द्वारा तप साधना की गई इस कारण इसे आश्रम पटम भी कहा जाता है
- यहां जंबू मार्ग ईश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ है. और यहीं पर जैनियों के 20 वे तीर्थंकर सुब्रत नाथ जी का मंदिर भी बना हुआ है.
- वरुण देव जी का मंदिर
- यह मंदिर नवलखा झील में बना हुआ है
- यह नवलखा झील के किनारे गजलक्ष्मी का मंदिर बना हुआ है
- नव लखा शब्द से जुड़े तथ्य
- नवलखा झील बूंदी में है
- नव लखा बाग बूंदी बाड़मेर और भरतपुर में स्थित है
- नव लखा किला झालावाड़ में स्थित है।
- नौलखा दरवाजा रणथंबोर में स्थित है
- नौलखा बावड़ी डूंगरपुर में स्थित है
- नौलखा महल डूंगरपुर और उदयपुर में है
- नव लखा बुर्ज चित्तौड़गढ़ में स्थित है
- नव लखा भंडार चित्तौड़गढ़ में स्थित है
- कमलेश्वर महादेव जी
- यह मंदिर चाकन नदी के किनारे 13वीं शताब्दी में बनाया गया ।
- राजस्थान का सबसे हटी और शक्तिशाली शासक हम्मीर देव चौहान के समय बनवाया गया ।
- इस मंदिर को तांत्रिक मंदिर के रूप में बनाया गया। और यहां पर भूत प्रेत वाले रोगी जाते हैं।
- अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंबोर विजय के बाद दिल्ली लौटते समय मंदिर के चारों तरफ लगी प्रतिमाओं को खंडित कर दिया था ।
- भीमलत महादेव- यह बूंदी में स्थित है
● कोटा के मंदिर

- गेपरनाथ जी का मंदिर
- चंबल नदी के किनारे 1565 में राजा भोज के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया
- यहां 2009 में सीढ़ियां टूट जाने के कारण अनेक लोग मारे गए
- विभीषण मंदिर
- राजस्थान का एकमात्र विभीषण मंदिर कैथून कोटा में स्थित है
- मथुराधीश मंदिर
- यह कोटा में स्थित है
- इस मंदिर का निर्माण बल्लभ संप्रदाय के आधार पर हुआ है
- यह वल्लभ संप्रदाय की प्रथम पीठ है
- जबकि प्रमुख पीठ श्री नाथ मंदिर है
- मथुराधीश जी की प्रतिमा को कोटा बूंदी विभाजन के समय बूंदी से लेकर कोटा में ले जाया गया।
- कंसुआ का शिव मंदिर
- कंसुआ का शिव मंदिर कोटा में स्थित है
- यहां कणव ऋषि का तपोभूमि है
- यहीं पर भगवान शिव के हजार शिवलिंग बने हुए हैं
- यहां का सबसे बड़ा शिवलिंग 1008 है ।
- भीमचोरी मंदिर
- मुकुंदरा हिल्स अभ्यारण कोटा में स्थित है
- यहां पर गुप्तकालीन शिवालय स्थित है
● जयपुर के मंदिर

- गोविंद देव जी का मंदिर
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था
- यह मंदिर गौड़ीय संप्रदाय के आधार पर बना था
- यह प्रतिमा वृंदावन से 1770 में चैतन्य महाप्रभु गोस्वामी के द्वारा गाई गई।
- गोविंद देव जी का मंदिर बिना खंभों का सबसे बड़ा सत्संग भवन है
- गोविंद देव जी की सत्संग बुक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है
- जगत शिरोमणि मंदिर
- जगत शिरोमणि मंदिर मान सिंह की पहली पत्नी कनकावती के द्वारा अपने पुत्र जगत सिंह की याद में बनवाया गया
- यह भगवान श्री कृष्ण की वह प्रतिमा है जिसकी पूजा मीराबाई करती थी ।
- इंदिरा गांधी मंदिर
- अचरोल जयपुर ।
- इसका निर्माण बीनू शर्मा के द्वारा किया गया था ।
- गलता सूर्य मंदिर
- गलता जयपुर
- इसका नामक स्वयं को मनकी वैली ओर उत्तर तोतदरी कहा जाता हैं ।
- देवयानी तीर्थ –
- सांभर जयपुर
- इसे तीर्थों की नानी कहा जाता हैं ।
- बिड़ला मंदिर –
- जयपुर
- चूल गिरी का जैन मंदिर – जयपुर
● अलवर के मंदिर

- पाणदुपोल हनुमान जी का मंदिर
- हनुमान जी शयन अवस्था में प्रतिमा हैं ।
- सोमनाथ जी का मंदिर –
- जबकि भारत का प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर “गुजरात ” में बना हुआ हैं । सौम मंदिर – पाली / देवसोमनाथ – डूंगरपुर
- नीलकंठ महादेव मंदिर
- सरिस्का अभयारण्य
- इसका निर्माण 1010 ईस्वी बड़ गुर्जर अजयपाल के द्वारा प्राचीन शिव मंदिर हैं ।
- भर्त हरि का मंदिर
- यही पर भर्तहरी की गुफा बनी हुई हैं ।
- बूढ़े जगन्नाथ जी का मंदिर
- नौ गाँव का जैन मंदिर – अलवर
● भरतपुर मंदिर

- गंगा मंदिर – कामा मंदिर भरतपुर
- निर्माण – बलवंत सिंह
- यहाँ गंगा की प्रतिमा बृजेन्द्र सिंह के द्वारा स्थापित की गई ।
- यह मंदिर 84 खंभों पर बना हुआ हैं ।
- लक्ष्मण मंदिर
- निर्माण – बलदेव
- भरतपुर वे शासक अपने आप को लक्ष्मण जी का वंशज मानते हैं ।
- जाखबाबा का मंदिर –
- नोहा भरतपुर
- नोहा सभ्यता की खुदाई में जख बाण की यक्ष प्रतिमा मिली ।
● धौलपुर के मंदिर

- सेपयाऊ महादेव का मंदिर – धौलपुर
- यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल षष्टि के दीन मंदिर लगता हैं ।
- मचकुंड धाम –
- इसे तीर्थों का भानजा कहाँ जाता हैं ।
● करौली के मंदिर

- मदन मोहन जी का मंदिर –
- इसका निर्माण गोपाल सिंह यडूवनशी ने करवाया था ।
- मंदिर के सामने गोपाल सिंह की छतरी बनी हुई हैं ।
- महावीर स्वामी जी का मंदिर –
- hindaun सिटी करौली में बना हुआ हैं ।
- यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दीन मेल लगता हैं ।
- इसी दीन महावीर जी की रथ यात्रा निकलती हैं तथा गंभीरी नदी तक जाती हैं ।
- इसी दीन महावीर जी का मेल लगता हैं ।
● टोंक का मंदिर

डिग्गी कल्याण जी मंदिर – ये टोंक में हैं । इन्हे श्री जी भी कहा जाता हैं ।
● दौसा का मंदिर

- महंदीपुर बालाजी का मंदिर
- ललसोट दौसा
- यहाँ की प्रतिमा यहाँ के पहाड़ से ही निकली हुई हैं ।
- यहाँ की प्रेत आत्माओ से ग्रसित रोगी आते हैं ।
- प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा को मेला लगता हैं ।
- हर्षद माता का मंदिर
- आभानेरी दौसा का मंदिर
- चंदबावड़ी प्रसिद्ध हैं ।
- ये महामारु शैली में बना हुआ हैं ।
● नागौर के मंदिर

- चारभुजा नाथ का मंदिर –
- ये का हैं ।
- यहाँ मीरा रेदास तुलसी की आदमकद प्रतिमाएं हैं ।
- इसके अतिरिक्त मीरा मंदिर चित्तौड़ गढ़ में बना हुआ हैं ।
● जोधपुर का मंदिर

- रावण मंदिर – मंडोर जोधपुर
- यहाँ विजयदशमी के दीन रावण दहन नहीं किया जाता हैं ।
- ये आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता हैं ।
- हरिहर मंदिर –
- ओसियां जोधपुर
- पंचायतन शैली में पूजा होती हैं । ये प्रतिहार शैली में बना हुआ हैं ।
- महा मंदिर –
- जोधपुर
- मानसिंह ने निर्माण करवाया था ।
- यहाँ नाथ संप्रदाय का तीर्थ स्थल हैं।
- यहाँ “मन नाथी संप्रदाय ” की पीठ बनी हुई हैं ।
- 84 खंभों पर बना हुआ हैं ।
- वसुंधरा मंदिर
- अर्ध नारेश्वर मंदिर
● बाड़मेर का मंदिर

- हाथवा गाँव की पहाड़ियों
- पर अजमेर
- सोमेश्वर महादेव जी का मंदिर प्रतिहारों द्वारा बनाया गया ।
- ये नागर शैली में बनाया गया हैं ।
- नाकोंडा भैरव –
- यहाँ पार्श्वनाथ की पूजा होती हीं ।
- पार्श्वनाथ को भक्तों द्वारा “जागती जोत हाथ का हुजूर ” भी कहा जाता हैं ।
- मेवा नगर का तीर्थ स्थल कहा जाता हैं ।
- हलदेश्वर मंदिर –
- ये छप्पन की पहाड़ियों में सबसे उची पहाड़ी हलदेश्वर पहाड़ी पर बना हुआ हैं ।
- हलदेश्वर पहाड़ी पर बाने हुए महादेव शिव का मंदिर को मारवाड़ का मंदिर आबू कहा जाता हैं ।
- 56 का मैदान – प्रतापगढ़ तथा बांसवाड़ा के मध्य का भाग
- 56 का बेसिन – माही नदी के सिद्धांत क्षेत्र को कहा जाता हैं ।
- खेड़िया बाबा का मंदिर –
- खेड़ बाड़मेर
- ये रैबारियों के आराध्य देवता हैं
- जबकि रैबारियों के आराध्य लोकदेवता पाबुजी हैं ।
● जैसलमेर के मंदिर

- लोधरवा का जैन मंदिर – धीरुभाई बंसाली , लोधरवा की राजकुमारी मूमल थी ।
● बीकानेर के मंदिर

- भण्डासर जैन मंदिर – इसका उपनाम “त्रिलोक दीपक ” । ये राजस्थान का एकमात्र मंदिर हैं , जिसकी नीव “घी” से भरी गई ।
● हेरामब गणेश मंदिर
- जूनागढ़ बीकानेर
- यहाँ भगवान गणेश जी के सिंह पर सवार दिखाया गया हैं ।
- 33 करोड़ देवी देवताओ के मंदिर में मंदिर को बना हुआ था । इसकी साल – मंडोर जोधपुर में स्थितः हैं ।
● गंगानगर के गुरुद्वारे
- गुरुद्वारा बूढ़ा जोहड़ – ये रायसिंहनगर नगर में हैं । यहाँ प्रतिवर्ष श्रावणी मावस को मेल लगता हैं ।
- डाटा पंपाराम का डेरा – विजय नगर – गंगानगर
● चुरू के मंदिर

- सालासर बालाजी के मंदिर – इसका निर्माण मोहनदास , ये एकमात्र मंदिर हैं जिसमे बालाजी को दाढ़ी मुछ में दिखाया गाया हैं ।
- तिरुपति बालाजी का मंदिर – इसका निर्माण आंध्र प्रदेश के तिरुपति फाउंडेशन ट्रस्ट के सहयोग से सोहनलल जनोडिया के द्वारा ।
● सीकर के मंदिर

- खाटूश्याम जी का मंदिर – यहाँ दाढ़ी मुछ की मुखाकृति की पूजा होती हैं ।
- शब्द गौ मत सीकर की हैं ।
- हर्ष नाथ भेराव का मंदिर – हर्ष पहाड़ी सीकर पर हैं ।
● झुंझुनू का मंदिर
शारदा देवी का मंदिर पिलानी झुंझुनू में स्थित हैं ।

● भीलवाडा का मंदिर

- सवाई भोज के मंदिर – यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को मेला लगता हैं।
- हरणी महादेव का मंदिर – यहाँ प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी चतुर्दशी को मेला लगता हैं ।
- बारंदेवरा का मंदिर – जहाजपुर , भीलवाडा ।
- मंदाकिनी मंदिर – बीजोलिया भीलवाडा । यहाँ हजारेश्वर महादेव , उण्डेश्वर महादेव , महकलेश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ हीं ।
- तिलस्व महादेव जी का मंदिर – बीजोलिया भीलवाडा
● चित्तौड़गढ़ के मंदिर
- समीददेश्वर मंदिर –
- इसका निर्माण राजा भोज 11 वी शताब्दी में हुआ था ।
- पुनर्निर्माण – मोकल
- प्राचीन नाम – त्रिभुवन , जबकि त्रिभुवंगढ़ करौली में हैं जो की पान की खेती के लिए जाना जाता हैं ।
- सतबीस देवरी मंदिर
- सवालिया जी का मंदिर – मंडफिया
- मतरीकुंडिया धाम – राजश्री गाँव , इसे मेवाड़ का हरिद्वार , राजस्थान का हरिद्वार ।
- बाडोली का शिव मंदिर – ( जबकि बाडोली नामक स्थान उदयपुर में हैं। )
● प्रतापगढ़ के मंदिर
- सीता माता का मंदिर – सीतामाता अभ्यारण में स्थित हैं । यहाँ लव कुश का मंदिर बना हुआ हैं । जबकि लव कुश का जन्म बाराँ में हुआ था ।
- गोतमेश्वर मंदिर – अरणोद । भूरिया बाबा के रूप में की जाती हैं ।
● बांसवाड़ा के मंदिर
- अरथुना का मंदिर- अरथुना का शिव मंदिर बांसवाड़ा में स्थित है
- कालीजरा का जैन मंदिर- यह भी बांसवाड़ा में स्थित है
● डूंगरपुर के मंदिर
- बेणेश्वर धाम
- यह धाम नवापुरा डूंगरपुर में स्थित है
- यह विश्व का एकमात्र धाम है जहां पर खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है
- जहां माघ पूर्णिमा को मेला लगता है
- इसे आदिवासियों का कुंभ, वागड़ का पुष्कर, आदिवासियों का प्रयाग भी कहा जाता है
- यह सोम , माही ओर जाखम नदी के किनारे बसा हुआ है
- देव सोमनाथ मंदिर
- गवरी बाई का मंदिर- गवरी बाई को वागड़ कि मीरा भी कहा जाता है
● उदयपुर के मंदिर
- ऋषभदेव जी का मंदिर-
- यह कोयल नदी के किनारे बसा हुआ है
- ऋषभदेव जी जैनियों के पहले तीर्थंकर हैं
- इनकी पूजा सभी जाति के लोगों के द्वारा की जाती है
- प्रतिमा काले पत्थर की होने के कारण इन्हें काला जी भी कहा जाता है
- इन्हें अत्यधिक मात्रा में केसर चढ़ाई जाती है इस कारण इनको केसरिया नाथ भी कहा जाता है
- भील जाति के लोग काला जी के केसर का पानी पीकर झूठ नहीं बोलते हैं।
- एकलिंग नाथ जी का मंदिर
- यह कैलाशपुरी मानसरोवर उदयपुर में बसा हुआ है
- मेवाड़ के शासकों और सिसोदिया वंश के शासकों के कुलदेवता हैं
- इसका निर्माण बप्पा रावल ने करवाया था
- इसके परकोटे का निर्माण मोकल ने करवाया था
- सहस्त्रबाहु मंदिर
- यह मंदिर नागदा उदयपुर में स्थित है
- यहां पर 2 मंदिर है इनमें एक मंदिर पंचायतन शैली और दूसरा मंदिर महामारु शैली में बना हुआ है
- जो मंदिर बड़ा है वह महामारु शैली में बना हुआ है
- जो मंदिर छोटा है वह पंचायतन शैली में बना हुआ है
- जावर का विष्णु मंदिर
- महाराणा कुंभा की पुत्री रमाबाई यहां पर पूजा करती थी
- जगदीश मंदिर- इस मंदिर को सपने में बना हुआ मंदिर भी कहा जाता है
● राजसमंद के मंदिर
- श्रीनाथ जी का मंदिर
- इसका निर्माण महाराजा राज सिंह के समय हुआ था
- इस की प्रतिमा वृंदावन से लाई गई थी
- बल्लभ संप्रदाय का प्रमुख मंदिर है
- यह गुलाबी गणगौर के लिए प्रसिद्ध है
- केले के पत्तियों की सांझी के लिए प्रसिद्ध है
- द्वारिकाधीश मंदिर
- यह कांकरोली राजसमंद में है
- यहां अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है
- यहां पर टायर ट्यूब का कारखाना है
● पाली के मंदिर

- रणकपुर का जैन मंदिर
- यह मंदिर कुंभा के समय बनाया गया था और इसका वास्तु काट दे पार था
- यह 1444 खंभों पर टिका हुआ है
- इसी कारण इसे जाल वाला मंदिर कहा जाता है और यह जेनों के सपनों में बना हुआ मंदिर है
- आदिनाथ का मंदिर मथाय नदी के किनारे बसा हुआ है
- यह भगवान आदिनाथ को समर्पित है
- फालना का जैन मंदिर
- इसे राजस्थान का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है. यह स्थान छतरियों के लिए जाना जाता है।
- मूछ वाले महावीर जी का मंदिर
- भारत का एकमात्र महावीर जी का मंदिर जिन्हें मूछों में दिखाया गया है
- नारलाई का जैन मंदिर
- देलवाड़ा के जैन मंदिर
- इनके बारे में राजस्थान के इतिहास के जनक कर्नल जेम्स टॉड ने कहा है कि ताजमहल को छोड़कर कोई भी इमारत की बराबरी नहीं कर सकती है
- यहां पर प्रमुख पांच मंदिर है जिन्हें श्वेतांबर मंदिर कहा जाता है
- विमल और सही
- लूण और सही
- पीतलहर मंदिर
- पार्श्व नाथ जी का मंदिर
- महावीर स्वामी जी का मंदिर
- कुंवारी कन्या का मंदिर- इसे रसिया बालम भी कहा जाता है
- अचलेश्वर महादेव जी का मंदिर- यह अचलगढ़ सिरोही में स्थित है
- वशिष्ट जी का मंदिर- यह अचलगढ़ सिरोही में स्थित है
👉 Join Telegram Channel
अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है... +919610571004 (☎ & WhatsApp)
More Notes...
B.Ed Lesson Diary Biology Notes CBSE Notes
Chemistry Notes कम्प्यूटर नोट्स Current Affairs
E-Books Economics Notes Education News
English Notes Geography Notes Govt Jobs
Govt Exam Notes Hindi Notes History Notes
indian Army Notes Maths Notes Model Paper
NCERT Notes Physics Notes Police Exam Notes
Politics Notes Old Papers Psychology Notes
Punjabi Notes RAJ CET Rajasthan Geography
Rajasthan History Science Notes RBSE Notes
REET, 2nd,1st Grade RS-CIT RAS,UPSC,IAS Exam