राजस्थान के मंदिर || Temples of Rajasthan

Categories:
Share Now
Loading❤️ Add to Favorites

● बाराँ के मंदिर

  • भँड़देवरा मंदिर –
    • ये टूट फूटा देवालय हैं ।
    • ये मूल रूप से भगवान शिव का मंदिर हैं । लेकिन यहाँ गणेश , शक्ति , सूर्य ओर विष्णु की भी पूजा की जाती हैं ।
    • इस कारण ये पंचायतन शैली में माना जाता हैं ।
    • इसे 10 वी शताब्दी में मलीवर्मन के द्वारा बनवाया गया ।
    • इसे हाड़ोती का खजुराहो तथा राजस्थान का मिनी खजुराहो कहा जाता हैं ।
  • फुलदेवरा मंदिर –
    • अटरू बाराँ
    • इसे मामा भानजा का मंदिर भी कहा जाता हैं ।
    • जबकि मामा भानजा की छतरी मेहरानगढ़ जोधपुर में हैं ।
  • कल्याणराई मंदिर – शेरगढ़ , यहा प्रतिदिन 56 प्रकार का भोग लगाया जाता हैं ।
  • काकुनी मंदिर – यहाँ राधा कृष्ण की पूजा होती हैं ।

● झालावाड़ के मंदिर

  • सात सहेलियों का मंदिर –
    • ये झालरा पाटन में स्थित हैं ।
    • ये मूल रूप से भगवान सूर्य का मंदिर हैं । इस मंदिर में भगवान सूर्य को घुटने तक जूते पहले हुए दिखाया गया हैं ।
    • इस मंदिर पर 2015 को 5 रुपए का डाक टिकट जारी किया गाया था ।
    • इस मंदिर में भगवान सूर्य को राधिका पर सवार तरिमुखी दिखाया गया हैं ।
    • यहा गर्भ गृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा होने के कारण कर्नल जेम्स टोड ने इसे चारभुजा का मंदिर कहा । जबकि चारभुजा नाथ का मंदिर मेड़ता नागोर में हैं ।
    • इस मंदिर के दरवाजे पर भगवान शिव को तांडव रूप में दिखाया गया हैं । यही पर गणेश जी व माता पार्वती की प्रतिमा हैं । इस कारण यह मंदिर पंचायतन शैली में बना हुआ हैं ।
  • शीतलेश्वर महादेव जी का मंदिर –
    • ये झालरा पाटन चंद्रभागा नदी के किनारे बना हुआ हैं ।
    • राजस्थान का सबसे प्राचीन तिथि अंकित मंदिर हैं । इसका निर्माण 689 में दुर्गुण के समय बापक के द्वारा करवाया गया ।
    • चंद्रभागा नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा चंद्रभागा पशुमाला लगता हैं ।
  • चंदखेड़ी जैन मंदिर – झालावाड़
  • शांतिनाथ जैन मंदिर – झालावाड़
  • मिनीयचर वुडन टेम्पल – ये लकड़ी का बना हुआ छोटा मंदिर हैं । लकड़ी के छोटे मंदिर को बेबान / देव विमान या बयान भी कहा जाता हीं । बेवान बस्सी चित्तोडगढ़ का प्रसिद्ध हैं ।

● अजमेर के मंदिर

  • ब्रम्हा जी का मंदिर –
    • ये पुष्कर का अजमेर में स्थित हैं ।
    • इसका निर्माण गोकुल चंद पारिक द्वारा करवाया गया था ।
    • इस मंदिर का निर्माण 1976 में राष्ट्रीय विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया ।
    • यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेल लगता हैं। जिसे की रंगीन मेल कहा जाता हैं।
    • यहाँ विश्व का प्रसिद्ध ब्रम्हा मंदिर हैं ।
    • ब्रम्हा जी के अन्य मंदिर – छिंद बांसवाड़ा , आसोतरा बाड़मेर ।
  • गायत्री जी मंदिर –
    • रत्नागिरी पहाड़ी पर बना हुआ हैं ।
  • सावित्री मंदिर –
    • ये एक एस मंदिर हैं जिसमे महिलाएं भी पूजा करती हैं ।
    • ये पुष्कर अजमेर में हैं ।
    • यहाँ 2016 में राजस्थान का तीसरा रोप वे शुरू किया गया ।
      • पहला – 2006 – सुंडा पर्वत जालोर
      • दूसरा – 2008 – करनी माता मंदिर , उदयपुर
      • प्रस्तावित 2015 में रघुनाथ मंदिर से नक्की झील की टोडरोक चट्टान सिरोही में किया ।
  • वराह मंदिर –
    • ये अजमेर में हैं ।
    • इसका निर्माण अर्णोराज ने ओर पुनः निर्माण शक्ति सिंह जो की महाराणा प्रताप का भी था , ने करवाया ।
    • यह भगवान विष्णु की वराह अवतार वाली प्रतिमा हीं ।
  • रंगनाथ जी का मंदिर
    • ये पुष्कर अजमेर में स्थित हैं ।
    • यहाँ भगवान विष्णु के नर्सिंगह अवतार से संबंधित प्रतिमा लागि हुई हैं ।
    • यह द्रविड़ शैली के समतुल्य सबसे बड़ा मंदिर है राजस्थान का
  • काचरिया मंदिर- यह किशनगढ़ अजमेर में रुपनगढ़ नदी के किनारे बसा हुआ है. यहां पर निंबार्क पद्धति से पूजा होती है
  • नवग्रहों का मंदिर- यह किशनगढ़ अजमेर में स्थित है
  • सोनी जी का नथिया- यह अजमेर में स्थित है.

● बूंदी के मंदिर

  • भगवान केशव का मंदिर-
    • यह मंदिर केशव राय पाटन में छत्रसाल के द्वारा बनाया गया
    • यह मंदिर चंबल नदी के किनारे बसा हुआ है
    • चंबल नदी के सर्वाधिक गहराई इसे मंदिर के आसपास मानी जाती है
    • चंबल नदी यहां पर धनुष आकार आकृति की हो जाती है
    • यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है
    • इस कारण इसे हाडोती का हरिद्वार भी कहा जाता है
    • जबकि राजस्थान का या मेवाड़ का हरिद्वार मातृकुंडिया धाम को कहा जाता है जो कि चित्तौड़गढ़ में स्थित है
    • यहां राजा रंतिदेव और भगवान परशुराम जी के द्वारा तप साधना की गई इस कारण इसे आश्रम पटम भी कहा जाता है
    • यहां जंबू मार्ग ईश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ है. और यहीं पर जैनियों के 20 वे तीर्थंकर सुब्रत नाथ जी का मंदिर भी बना हुआ है.
  • वरुण देव जी का मंदिर
    • यह मंदिर नवलखा झील में बना हुआ है
    • यह नवलखा झील के किनारे गजलक्ष्मी का मंदिर बना हुआ है
    • नव लखा शब्द से जुड़े तथ्य
      • नवलखा झील बूंदी में है
      • नव लखा बाग बूंदी बाड़मेर और भरतपुर में स्थित है
      • नव लखा किला झालावाड़ में स्थित है।
      • नौलखा दरवाजा रणथंबोर में स्थित है
      • नौलखा बावड़ी डूंगरपुर में स्थित है
      • नौलखा महल डूंगरपुर और उदयपुर में है
      • नव लखा बुर्ज चित्तौड़गढ़ में स्थित है
      • नव लखा भंडार चित्तौड़गढ़ में स्थित है
  • कमलेश्वर महादेव जी
    • यह मंदिर चाकन नदी के किनारे 13वीं शताब्दी में बनाया गया ।
    • राजस्थान का सबसे हटी और शक्तिशाली शासक हम्मीर देव चौहान के समय बनवाया गया ।
    • इस मंदिर को तांत्रिक मंदिर के रूप में बनाया गया। और यहां पर भूत प्रेत वाले रोगी जाते हैं।
    • अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंबोर विजय के बाद दिल्ली लौटते समय मंदिर के चारों तरफ लगी प्रतिमाओं को खंडित कर दिया था ।
  • भीमलत महादेव- यह बूंदी में स्थित है

● कोटा के मंदिर

  • गेपरनाथ जी का मंदिर
    • चंबल नदी के किनारे 1565 में राजा भोज के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया
    • यहां 2009 में सीढ़ियां टूट जाने के कारण अनेक लोग मारे गए
  • विभीषण मंदिर
    • राजस्थान का एकमात्र विभीषण मंदिर कैथून कोटा में स्थित है
  • मथुराधीश मंदिर
    • यह कोटा में स्थित है
    • इस मंदिर का निर्माण बल्लभ संप्रदाय के आधार पर हुआ है
    • यह वल्लभ संप्रदाय की प्रथम पीठ है
    • जबकि प्रमुख पीठ श्री नाथ मंदिर है
    • मथुराधीश जी की प्रतिमा को कोटा बूंदी विभाजन के समय बूंदी से लेकर कोटा में ले जाया गया।
  • कंसुआ का शिव मंदिर
    • कंसुआ का शिव मंदिर कोटा में स्थित है
    • यहां कणव ऋषि का तपोभूमि है
    • यहीं पर भगवान शिव के हजार शिवलिंग बने हुए हैं
    • यहां का सबसे बड़ा शिवलिंग 1008 है ।
  • भीमचोरी मंदिर
    • मुकुंदरा हिल्स अभ्यारण कोटा में स्थित है
    • यहां पर गुप्तकालीन शिवालय स्थित है

● जयपुर के मंदिर

  • गोविंद देव जी का मंदिर
    • इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था
    • यह मंदिर गौड़ीय संप्रदाय के आधार पर बना था
    • यह प्रतिमा वृंदावन से 1770 में चैतन्य महाप्रभु गोस्वामी के द्वारा गाई गई।
    • गोविंद देव जी का मंदिर बिना खंभों का सबसे बड़ा सत्संग भवन है
    • गोविंद देव जी की सत्संग बुक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है
  • जगत शिरोमणि मंदिर
    • जगत शिरोमणि मंदिर मान सिंह की पहली पत्नी कनकावती के द्वारा अपने पुत्र जगत सिंह की याद में बनवाया गया
    • यह भगवान श्री कृष्ण की वह प्रतिमा है जिसकी पूजा मीराबाई करती थी ।
  • इंदिरा गांधी मंदिर
    • अचरोल जयपुर ।
    • इसका निर्माण बीनू शर्मा के द्वारा किया गया था ।
  • गलता सूर्य मंदिर
    • गलता जयपुर
    • इसका नामक स्वयं को मनकी वैली ओर उत्तर तोतदरी कहा जाता हैं ।
  • देवयानी तीर्थ –
    • सांभर जयपुर
    • इसे तीर्थों की नानी कहा जाता हैं ।
  • बिड़ला मंदिर –
    • जयपुर
  • चूल गिरी का जैन मंदिर – जयपुर

● अलवर के मंदिर

  • पाणदुपोल हनुमान जी का मंदिर
    • हनुमान जी शयन अवस्था में प्रतिमा हैं ।
  • सोमनाथ जी का मंदिर –
    • जबकि भारत का प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर “गुजरात ” में बना हुआ हैं । सौम मंदिर – पाली / देवसोमनाथ – डूंगरपुर
  • नीलकंठ महादेव मंदिर
    • सरिस्का अभयारण्य
    • इसका निर्माण 1010 ईस्वी बड़ गुर्जर अजयपाल के द्वारा प्राचीन शिव मंदिर हैं ।
  • भर्त हरि का मंदिर
    • यही पर भर्तहरी की गुफा बनी हुई हैं ।
  • बूढ़े जगन्नाथ जी का मंदिर
  • नौ गाँव का जैन मंदिर – अलवर

● भरतपुर मंदिर

  • गंगा मंदिर – कामा मंदिर भरतपुर
    • निर्माण – बलवंत सिंह
    • यहाँ गंगा की प्रतिमा बृजेन्द्र सिंह के द्वारा स्थापित की गई ।
    • यह मंदिर 84 खंभों पर बना हुआ हैं ।
  • लक्ष्मण मंदिर
    • निर्माण – बलदेव
    • भरतपुर वे शासक अपने आप को लक्ष्मण जी का वंशज मानते हैं ।
  • जाखबाबा का मंदिर –
    • नोहा भरतपुर
    • नोहा सभ्यता की खुदाई में जख बाण की यक्ष प्रतिमा मिली ।

● धौलपुर के मंदिर

  • सेपयाऊ महादेव का मंदिर – धौलपुर
    • यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल षष्टि के दीन मंदिर लगता हैं ।
  • मचकुंड धाम –
    • इसे तीर्थों का भानजा कहाँ जाता हैं ।

● करौली के मंदिर

  • मदन मोहन जी का मंदिर –
    • इसका निर्माण गोपाल सिंह यडूवनशी ने करवाया था ।
    • मंदिर के सामने गोपाल सिंह की छतरी बनी हुई हैं ।
  • महावीर स्वामी जी का मंदिर –
    • hindaun सिटी करौली में बना हुआ हैं ।
    • यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दीन मेल लगता हैं ।
    • इसी दीन महावीर जी की रथ यात्रा निकलती हैं तथा गंभीरी नदी तक जाती हैं ।
    • इसी दीन महावीर जी का मेल लगता हैं ।

● टोंक का मंदिर

डिग्गी कल्याण जी मंदिर – ये टोंक में हैं । इन्हे श्री जी भी कहा जाता हैं ।

● दौसा का मंदिर

  • महंदीपुर बालाजी का मंदिर
    • ललसोट दौसा
    • यहाँ की प्रतिमा यहाँ के पहाड़ से ही निकली हुई हैं ।
    • यहाँ की प्रेत आत्माओ से ग्रसित रोगी आते हैं ।
    • प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा को मेला लगता हैं ।
  • हर्षद माता का मंदिर
    • आभानेरी दौसा का मंदिर
    • चंदबावड़ी प्रसिद्ध हैं ।
    • ये महामारु शैली में बना हुआ हैं ।

● नागौर के मंदिर

  • चारभुजा नाथ का मंदिर –
    • ये का हैं ।
    • यहाँ मीरा रेदास तुलसी की आदमकद प्रतिमाएं हैं ।
    • इसके अतिरिक्त मीरा मंदिर चित्तौड़ गढ़ में बना हुआ हैं ।

● जोधपुर का मंदिर

रावण मंदिर - मंडोर जोधपुर
रावण मंदिर – मंडोर जोधपुर
  • रावण मंदिर – मंडोर जोधपुर
    • यहाँ विजयदशमी के दीन रावण दहन नहीं किया जाता हैं ।
    • ये आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता हैं ।
  • हरिहर मंदिर –
    • ओसियां जोधपुर
    • पंचायतन शैली में पूजा होती हैं । ये प्रतिहार शैली में बना हुआ हैं ।
  • महा मंदिर –
    • जोधपुर
    • मानसिंह ने निर्माण करवाया था ।
    • यहाँ नाथ संप्रदाय का तीर्थ स्थल हैं।
    • यहाँ “मन नाथी संप्रदाय ” की पीठ बनी हुई हैं ।
    • 84 खंभों पर बना हुआ हैं ।
  • वसुंधरा मंदिर
  • अर्ध नारेश्वर मंदिर

● बाड़मेर का मंदिर

नाकोंडा भैरव –
  • हाथवा गाँव की पहाड़ियों
    • पर अजमेर
    • सोमेश्वर महादेव जी का मंदिर प्रतिहारों द्वारा बनाया गया ।
    • ये नागर शैली में बनाया गया हैं ।
  • नाकोंडा भैरव –
    • यहाँ पार्श्वनाथ की पूजा होती हीं ।
    • पार्श्वनाथ को भक्तों द्वारा “जागती जोत हाथ का हुजूर ” भी कहा जाता हैं ।
    • मेवा नगर का तीर्थ स्थल कहा जाता हैं ।
  • हलदेश्वर मंदिर –
    • ये छप्पन की पहाड़ियों में सबसे उची पहाड़ी हलदेश्वर पहाड़ी पर बना हुआ हैं ।
    • हलदेश्वर पहाड़ी पर बाने हुए महादेव शिव का मंदिर को मारवाड़ का मंदिर आबू कहा जाता हैं ।
      • 56 का मैदान – प्रतापगढ़ तथा बांसवाड़ा के मध्य का भाग
      • 56 का बेसिन – माही नदी के सिद्धांत क्षेत्र को कहा जाता हैं ।
  • खेड़िया बाबा का मंदिर –
    • खेड़ बाड़मेर
    • ये रैबारियों के आराध्य देवता हैं
    • जबकि रैबारियों के आराध्य लोकदेवता पाबुजी हैं ।

● जैसलमेर के मंदिर

लोधरवा का जैन मंदिर
लोधरवा का जैन मंदिर
  • लोधरवा का जैन मंदिर – धीरुभाई बंसाली , लोधरवा की राजकुमारी मूमल थी ।

● बीकानेर के मंदिर

भण्डासर जैन मंदिर
भण्डासर जैन मंदिर
  • भण्डासर जैन मंदिर – इसका उपनाम “त्रिलोक दीपक ” । ये राजस्थान का एकमात्र मंदिर हैं , जिसकी नीव “घी” से भरी गई ।

● हेरामब गणेश मंदिर

  • जूनागढ़ बीकानेर
  • यहाँ भगवान गणेश जी के सिंह पर सवार दिखाया गया हैं ।
  • 33 करोड़ देवी देवताओ के मंदिर में मंदिर को बना हुआ था । इसकी साल – मंडोर जोधपुर में स्थितः हैं ।

● गंगानगर के गुरुद्वारे

  • गुरुद्वारा बूढ़ा जोहड़ – ये रायसिंहनगर नगर में हैं । यहाँ प्रतिवर्ष श्रावणी मावस को मेल लगता हैं ।
  • डाटा पंपाराम का डेरा – विजय नगर – गंगानगर

● चुरू के मंदिर

सालासर बालाजी के मंदिर
सालासर बालाजी के मंदिर
  • सालासर बालाजी के मंदिर – इसका निर्माण मोहनदास , ये एकमात्र मंदिर हैं जिसमे बालाजी को दाढ़ी मुछ में दिखाया गाया हैं ।
  • तिरुपति बालाजी का मंदिर – इसका निर्माण आंध्र प्रदेश के तिरुपति फाउंडेशन ट्रस्ट के सहयोग से सोहनलल जनोडिया के द्वारा ।

● सीकर के मंदिर

खाटूश्याम जी का मंदिर
खाटूश्याम जी का मंदिर
  • खाटूश्याम जी का मंदिर – यहाँ दाढ़ी मुछ की मुखाकृति की पूजा होती हैं ।
  • शब्द गौ मत सीकर की हैं ।
  • हर्ष नाथ भेराव का मंदिर – हर्ष पहाड़ी सीकर पर हैं ।

● झुंझुनू का मंदिर

शारदा देवी का मंदिर पिलानी झुंझुनू में स्थित हैं ।

● भीलवाडा का मंदिर

हरणी महादेव का मंदिर
  • सवाई भोज के मंदिर – यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को मेला लगता हैं।
  • हरणी महादेव का मंदिर – यहाँ प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी चतुर्दशी को मेला लगता हैं ।
  • बारंदेवरा का मंदिर – जहाजपुर , भीलवाडा ।
  • मंदाकिनी मंदिर – बीजोलिया भीलवाडा । यहाँ हजारेश्वर महादेव , उण्डेश्वर महादेव , महकलेश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ हीं ।
  • तिलस्व महादेव जी का मंदिर – बीजोलिया भीलवाडा

● चित्तौड़गढ़ के मंदिर

  • समीददेश्वर मंदिर –
    • इसका निर्माण राजा भोज 11 वी शताब्दी में हुआ था ।
    • पुनर्निर्माण – मोकल
    • प्राचीन नाम – त्रिभुवन , जबकि त्रिभुवंगढ़ करौली में हैं जो की पान की खेती के लिए जाना जाता हैं ।
  • सतबीस देवरी मंदिर
  • सवालिया जी का मंदिर – मंडफिया
  • मतरीकुंडिया धाम – राजश्री गाँव , इसे मेवाड़ का हरिद्वार , राजस्थान का हरिद्वार ।
  • बाडोली का शिव मंदिर – ( जबकि बाडोली नामक स्थान उदयपुर में हैं। )

● प्रतापगढ़ के मंदिर

  • सीता माता का मंदिर – सीतामाता अभ्यारण में स्थित हैं । यहाँ लव कुश का मंदिर बना हुआ हैं । जबकि लव कुश का जन्म बाराँ में हुआ था ।
  • गोतमेश्वर मंदिर – अरणोद । भूरिया बाबा के रूप में की जाती हैं ।

● बांसवाड़ा के मंदिर

  • अरथुना का मंदिर- अरथुना का शिव मंदिर बांसवाड़ा में स्थित है
  • कालीजरा का जैन मंदिर- यह भी बांसवाड़ा में स्थित है

● डूंगरपुर के मंदिर

  • बेणेश्वर धाम
    • यह धाम नवापुरा डूंगरपुर में स्थित है
    • यह विश्व का एकमात्र धाम है जहां पर खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है
    • जहां माघ पूर्णिमा को मेला लगता है
    • इसे आदिवासियों का कुंभ, वागड़ का पुष्कर, आदिवासियों का प्रयाग भी कहा जाता है
    • यह सोम , माही ओर जाखम नदी के किनारे बसा हुआ है
  • देव सोमनाथ मंदिर
  • गवरी बाई का मंदिर- गवरी बाई को वागड़ कि मीरा भी कहा जाता है

● उदयपुर के मंदिर

  • ऋषभदेव जी का मंदिर-
    • यह कोयल नदी के किनारे बसा हुआ है
    • ऋषभदेव जी जैनियों के पहले तीर्थंकर हैं
    • इनकी पूजा सभी जाति के लोगों के द्वारा की जाती है
    • प्रतिमा काले पत्थर की होने के कारण इन्हें काला जी भी कहा जाता है
    • इन्हें अत्यधिक मात्रा में केसर चढ़ाई जाती है इस कारण इनको केसरिया नाथ भी कहा जाता है
    • भील जाति के लोग काला जी के केसर का पानी पीकर झूठ नहीं बोलते हैं।
  • एकलिंग नाथ जी का मंदिर
    • यह कैलाशपुरी मानसरोवर उदयपुर में बसा हुआ है
    • मेवाड़ के शासकों और सिसोदिया वंश के शासकों के कुलदेवता हैं
    • इसका निर्माण बप्पा रावल ने करवाया था
    • इसके परकोटे का निर्माण मोकल ने करवाया था
  • सहस्त्रबाहु मंदिर
    • यह मंदिर नागदा उदयपुर में स्थित है
    • यहां पर 2 मंदिर है इनमें एक मंदिर पंचायतन शैली और दूसरा मंदिर महामारु शैली में बना हुआ है
    • जो मंदिर बड़ा है वह महामारु शैली में बना हुआ है
    • जो मंदिर छोटा है वह पंचायतन शैली में बना हुआ है
  • जावर का विष्णु मंदिर
    • महाराणा कुंभा की पुत्री रमाबाई यहां पर पूजा करती थी
  • जगदीश मंदिर- इस मंदिर को सपने में बना हुआ मंदिर भी कहा जाता है

● राजसमंद के मंदिर

  • श्रीनाथ जी का मंदिर
    • इसका निर्माण महाराजा राज सिंह के समय हुआ था
    • इस की प्रतिमा वृंदावन से लाई गई थी
    • बल्लभ संप्रदाय का प्रमुख मंदिर है
    • यह गुलाबी गणगौर के लिए प्रसिद्ध है
    • केले के पत्तियों की सांझी के लिए प्रसिद्ध है
  • द्वारिकाधीश मंदिर
    • यह कांकरोली राजसमंद में है
    • यहां अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है
    • यहां पर टायर ट्यूब का कारखाना है

● पाली के मंदिर

  • रणकपुर का जैन मंदिर
    • यह मंदिर कुंभा के समय बनाया गया था और इसका वास्तु काट दे पार था
    • यह 1444 खंभों पर टिका हुआ है
    • इसी कारण इसे जाल वाला मंदिर कहा जाता है और यह जेनों के सपनों में बना हुआ मंदिर है
    • आदिनाथ का मंदिर मथाय नदी के किनारे बसा हुआ है
    • यह भगवान आदिनाथ को समर्पित है
  • फालना का जैन मंदिर
    • इसे राजस्थान का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है. यह स्थान छतरियों के लिए जाना जाता है।
  • मूछ वाले महावीर जी का मंदिर
    • भारत का एकमात्र महावीर जी का मंदिर जिन्हें मूछों में दिखाया गया है
  • नारलाई का जैन मंदिर
  • देलवाड़ा के जैन मंदिर
    • इनके बारे में राजस्थान के इतिहास के जनक कर्नल जेम्स टॉड ने कहा है कि ताजमहल को छोड़कर कोई भी इमारत की बराबरी नहीं कर सकती है
    • यहां पर प्रमुख पांच मंदिर है जिन्हें श्वेतांबर मंदिर कहा जाता है
      • विमल और सही
      • लूण और सही
      • पीतलहर मंदिर
      • पार्श्व नाथ जी का मंदिर
      • महावीर स्वामी जी का मंदिर
      • कुंवारी कन्या का मंदिर- इसे रसिया बालम भी कहा जाता है
      • अचलेश्वर महादेव जी का मंदिर- यह अचलगढ़ सिरोही में स्थित है
      • वशिष्ट जी का मंदिर- यह अचलगढ़ सिरोही में स्थित है

अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है... +919610571004 (☎ & WhatsApp)