- 1 ● बाराँ के मंदिर
- 2 ● झालावाड़ के मंदिर
- 3 ● अजमेर के मंदिर
- 4 ● बूंदी के मंदिर
- 5 ● कोटा के मंदिर
- 6 ● जयपुर के मंदिर
- 7 ● अलवर के मंदिर
- 8 ● भरतपुर मंदिर
- 9 ● धौलपुर के मंदिर
- 10 ● करौली के मंदिर
- 11 ● टोंक का मंदिर
- 12 ● दौसा का मंदिर
- 13 ● नागौर के मंदिर
- 14 ● जोधपुर का मंदिर
- 15 ● बाड़मेर का मंदिर
- 16 ● जैसलमेर के मंदिर
- 17 ● बीकानेर के मंदिर
- 18 ● हेरामब गणेश मंदिर
- 19 ● गंगानगर के गुरुद्वारे
- 20 ● चुरू के मंदिर
- 21 ● सीकर के मंदिर
- 22 ● झुंझुनू का मंदिर
- 23 ● भीलवाडा का मंदिर
- 24 ● चित्तौड़गढ़ के मंदिर
- 25 ● प्रतापगढ़ के मंदिर
- 26 ● बांसवाड़ा के मंदिर
- 27 ● डूंगरपुर के मंदिर
- 28 ● उदयपुर के मंदिर
- 29 ● राजसमंद के मंदिर
- 30 ● पाली के मंदिर
● बाराँ के मंदिर
- भँड़देवरा मंदिर –
- ये टूट फूटा देवालय हैं ।
- ये मूल रूप से भगवान शिव का मंदिर हैं । लेकिन यहाँ गणेश , शक्ति , सूर्य ओर विष्णु की भी पूजा की जाती हैं ।
- इस कारण ये पंचायतन शैली में माना जाता हैं ।
- इसे 10 वी शताब्दी में मलीवर्मन के द्वारा बनवाया गया ।
- इसे हाड़ोती का खजुराहो तथा राजस्थान का मिनी खजुराहो कहा जाता हैं ।
- फुलदेवरा मंदिर –
- अटरू बाराँ
- इसे मामा भानजा का मंदिर भी कहा जाता हैं ।
- जबकि मामा भानजा की छतरी मेहरानगढ़ जोधपुर में हैं ।
- कल्याणराई मंदिर – शेरगढ़ , यहा प्रतिदिन 56 प्रकार का भोग लगाया जाता हैं ।
- काकुनी मंदिर – यहाँ राधा कृष्ण की पूजा होती हैं ।
● झालावाड़ के मंदिर
- सात सहेलियों का मंदिर –
- ये झालरा पाटन में स्थित हैं ।
- ये मूल रूप से भगवान सूर्य का मंदिर हैं । इस मंदिर में भगवान सूर्य को घुटने तक जूते पहले हुए दिखाया गया हैं ।
- इस मंदिर पर 2015 को 5 रुपए का डाक टिकट जारी किया गाया था ।
- इस मंदिर में भगवान सूर्य को राधिका पर सवार तरिमुखी दिखाया गया हैं ।
- यहा गर्भ गृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा होने के कारण कर्नल जेम्स टोड ने इसे चारभुजा का मंदिर कहा । जबकि चारभुजा नाथ का मंदिर मेड़ता नागोर में हैं ।
- इस मंदिर के दरवाजे पर भगवान शिव को तांडव रूप में दिखाया गया हैं । यही पर गणेश जी व माता पार्वती की प्रतिमा हैं । इस कारण यह मंदिर पंचायतन शैली में बना हुआ हैं ।
- शीतलेश्वर महादेव जी का मंदिर –
- ये झालरा पाटन चंद्रभागा नदी के किनारे बना हुआ हैं ।
- राजस्थान का सबसे प्राचीन तिथि अंकित मंदिर हैं । इसका निर्माण 689 में दुर्गुण के समय बापक के द्वारा करवाया गया ।
- चंद्रभागा नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा चंद्रभागा पशुमाला लगता हैं ।
- चंदखेड़ी जैन मंदिर – झालावाड़
- शांतिनाथ जैन मंदिर – झालावाड़
- मिनीयचर वुडन टेम्पल – ये लकड़ी का बना हुआ छोटा मंदिर हैं । लकड़ी के छोटे मंदिर को बेबान / देव विमान या बयान भी कहा जाता हीं । बेवान बस्सी चित्तोडगढ़ का प्रसिद्ध हैं ।
● अजमेर के मंदिर
- ब्रम्हा जी का मंदिर –
- ये पुष्कर का अजमेर में स्थित हैं ।
- इसका निर्माण गोकुल चंद पारिक द्वारा करवाया गया था ।
- इस मंदिर का निर्माण 1976 में राष्ट्रीय विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया ।
- यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेल लगता हैं। जिसे की रंगीन मेल कहा जाता हैं।
- यहाँ विश्व का प्रसिद्ध ब्रम्हा मंदिर हैं ।
- ब्रम्हा जी के अन्य मंदिर – छिंद बांसवाड़ा , आसोतरा बाड़मेर ।
- गायत्री जी मंदिर –
- रत्नागिरी पहाड़ी पर बना हुआ हैं ।
- सावित्री मंदिर –
- ये एक एस मंदिर हैं जिसमे महिलाएं भी पूजा करती हैं ।
- ये पुष्कर अजमेर में हैं ।
- यहाँ 2016 में राजस्थान का तीसरा रोप वे शुरू किया गया ।
- पहला – 2006 – सुंडा पर्वत जालोर
- दूसरा – 2008 – करनी माता मंदिर , उदयपुर
- प्रस्तावित 2015 में रघुनाथ मंदिर से नक्की झील की टोडरोक चट्टान सिरोही में किया ।
- वराह मंदिर –
- ये अजमेर में हैं ।
- इसका निर्माण अर्णोराज ने ओर पुनः निर्माण शक्ति सिंह जो की महाराणा प्रताप का भी था , ने करवाया ।
- यह भगवान विष्णु की वराह अवतार वाली प्रतिमा हीं ।
- रंगनाथ जी का मंदिर
- ये पुष्कर अजमेर में स्थित हैं ।
- यहाँ भगवान विष्णु के नर्सिंगह अवतार से संबंधित प्रतिमा लागि हुई हैं ।
- यह द्रविड़ शैली के समतुल्य सबसे बड़ा मंदिर है राजस्थान का
- काचरिया मंदिर- यह किशनगढ़ अजमेर में रुपनगढ़ नदी के किनारे बसा हुआ है. यहां पर निंबार्क पद्धति से पूजा होती है
- नवग्रहों का मंदिर- यह किशनगढ़ अजमेर में स्थित है
- सोनी जी का नथिया- यह अजमेर में स्थित है.
● बूंदी के मंदिर
- भगवान केशव का मंदिर-
- यह मंदिर केशव राय पाटन में छत्रसाल के द्वारा बनाया गया
- यह मंदिर चंबल नदी के किनारे बसा हुआ है
- चंबल नदी के सर्वाधिक गहराई इसे मंदिर के आसपास मानी जाती है
- चंबल नदी यहां पर धनुष आकार आकृति की हो जाती है
- यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगता है
- इस कारण इसे हाडोती का हरिद्वार भी कहा जाता है
- जबकि राजस्थान का या मेवाड़ का हरिद्वार मातृकुंडिया धाम को कहा जाता है जो कि चित्तौड़गढ़ में स्थित है
- यहां राजा रंतिदेव और भगवान परशुराम जी के द्वारा तप साधना की गई इस कारण इसे आश्रम पटम भी कहा जाता है
- यहां जंबू मार्ग ईश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ है. और यहीं पर जैनियों के 20 वे तीर्थंकर सुब्रत नाथ जी का मंदिर भी बना हुआ है.
- वरुण देव जी का मंदिर
- यह मंदिर नवलखा झील में बना हुआ है
- यह नवलखा झील के किनारे गजलक्ष्मी का मंदिर बना हुआ है
- नव लखा शब्द से जुड़े तथ्य
- नवलखा झील बूंदी में है
- नव लखा बाग बूंदी बाड़मेर और भरतपुर में स्थित है
- नव लखा किला झालावाड़ में स्थित है।
- नौलखा दरवाजा रणथंबोर में स्थित है
- नौलखा बावड़ी डूंगरपुर में स्थित है
- नौलखा महल डूंगरपुर और उदयपुर में है
- नव लखा बुर्ज चित्तौड़गढ़ में स्थित है
- नव लखा भंडार चित्तौड़गढ़ में स्थित है
- कमलेश्वर महादेव जी
- यह मंदिर चाकन नदी के किनारे 13वीं शताब्दी में बनाया गया ।
- राजस्थान का सबसे हटी और शक्तिशाली शासक हम्मीर देव चौहान के समय बनवाया गया ।
- इस मंदिर को तांत्रिक मंदिर के रूप में बनाया गया। और यहां पर भूत प्रेत वाले रोगी जाते हैं।
- अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंबोर विजय के बाद दिल्ली लौटते समय मंदिर के चारों तरफ लगी प्रतिमाओं को खंडित कर दिया था ।
- भीमलत महादेव- यह बूंदी में स्थित है
● कोटा के मंदिर
- गेपरनाथ जी का मंदिर
- चंबल नदी के किनारे 1565 में राजा भोज के द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया
- यहां 2009 में सीढ़ियां टूट जाने के कारण अनेक लोग मारे गए
- विभीषण मंदिर
- राजस्थान का एकमात्र विभीषण मंदिर कैथून कोटा में स्थित है
- मथुराधीश मंदिर
- यह कोटा में स्थित है
- इस मंदिर का निर्माण बल्लभ संप्रदाय के आधार पर हुआ है
- यह वल्लभ संप्रदाय की प्रथम पीठ है
- जबकि प्रमुख पीठ श्री नाथ मंदिर है
- मथुराधीश जी की प्रतिमा को कोटा बूंदी विभाजन के समय बूंदी से लेकर कोटा में ले जाया गया।
- कंसुआ का शिव मंदिर
- कंसुआ का शिव मंदिर कोटा में स्थित है
- यहां कणव ऋषि का तपोभूमि है
- यहीं पर भगवान शिव के हजार शिवलिंग बने हुए हैं
- यहां का सबसे बड़ा शिवलिंग 1008 है ।
- भीमचोरी मंदिर
- मुकुंदरा हिल्स अभ्यारण कोटा में स्थित है
- यहां पर गुप्तकालीन शिवालय स्थित है
● जयपुर के मंदिर
- गोविंद देव जी का मंदिर
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था
- यह मंदिर गौड़ीय संप्रदाय के आधार पर बना था
- यह प्रतिमा वृंदावन से 1770 में चैतन्य महाप्रभु गोस्वामी के द्वारा गाई गई।
- गोविंद देव जी का मंदिर बिना खंभों का सबसे बड़ा सत्संग भवन है
- गोविंद देव जी की सत्संग बुक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है
- जगत शिरोमणि मंदिर
- जगत शिरोमणि मंदिर मान सिंह की पहली पत्नी कनकावती के द्वारा अपने पुत्र जगत सिंह की याद में बनवाया गया
- यह भगवान श्री कृष्ण की वह प्रतिमा है जिसकी पूजा मीराबाई करती थी ।
- इंदिरा गांधी मंदिर
- अचरोल जयपुर ।
- इसका निर्माण बीनू शर्मा के द्वारा किया गया था ।
- गलता सूर्य मंदिर
- गलता जयपुर
- इसका नामक स्वयं को मनकी वैली ओर उत्तर तोतदरी कहा जाता हैं ।
- देवयानी तीर्थ –
- सांभर जयपुर
- इसे तीर्थों की नानी कहा जाता हैं ।
- बिड़ला मंदिर –
- जयपुर
- चूल गिरी का जैन मंदिर – जयपुर
● अलवर के मंदिर
- पाणदुपोल हनुमान जी का मंदिर
- हनुमान जी शयन अवस्था में प्रतिमा हैं ।
- सोमनाथ जी का मंदिर –
- जबकि भारत का प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर “गुजरात ” में बना हुआ हैं । सौम मंदिर – पाली / देवसोमनाथ – डूंगरपुर
- नीलकंठ महादेव मंदिर
- सरिस्का अभयारण्य
- इसका निर्माण 1010 ईस्वी बड़ गुर्जर अजयपाल के द्वारा प्राचीन शिव मंदिर हैं ।
- भर्त हरि का मंदिर
- यही पर भर्तहरी की गुफा बनी हुई हैं ।
- बूढ़े जगन्नाथ जी का मंदिर
- नौ गाँव का जैन मंदिर – अलवर
● भरतपुर मंदिर
- गंगा मंदिर – कामा मंदिर भरतपुर
- निर्माण – बलवंत सिंह
- यहाँ गंगा की प्रतिमा बृजेन्द्र सिंह के द्वारा स्थापित की गई ।
- यह मंदिर 84 खंभों पर बना हुआ हैं ।
- लक्ष्मण मंदिर
- निर्माण – बलदेव
- भरतपुर वे शासक अपने आप को लक्ष्मण जी का वंशज मानते हैं ।
- जाखबाबा का मंदिर –
- नोहा भरतपुर
- नोहा सभ्यता की खुदाई में जख बाण की यक्ष प्रतिमा मिली ।
● धौलपुर के मंदिर
- सेपयाऊ महादेव का मंदिर – धौलपुर
- यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल षष्टि के दीन मंदिर लगता हैं ।
- मचकुंड धाम –
- इसे तीर्थों का भानजा कहाँ जाता हैं ।
● करौली के मंदिर
- मदन मोहन जी का मंदिर –
- इसका निर्माण गोपाल सिंह यडूवनशी ने करवाया था ।
- मंदिर के सामने गोपाल सिंह की छतरी बनी हुई हैं ।
- महावीर स्वामी जी का मंदिर –
- hindaun सिटी करौली में बना हुआ हैं ।
- यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दीन मेल लगता हैं ।
- इसी दीन महावीर जी की रथ यात्रा निकलती हैं तथा गंभीरी नदी तक जाती हैं ।
- इसी दीन महावीर जी का मेल लगता हैं ।
● टोंक का मंदिर
डिग्गी कल्याण जी मंदिर – ये टोंक में हैं । इन्हे श्री जी भी कहा जाता हैं ।
● दौसा का मंदिर
- महंदीपुर बालाजी का मंदिर
- ललसोट दौसा
- यहाँ की प्रतिमा यहाँ के पहाड़ से ही निकली हुई हैं ।
- यहाँ की प्रेत आत्माओ से ग्रसित रोगी आते हैं ।
- प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा को मेला लगता हैं ।
- हर्षद माता का मंदिर
- आभानेरी दौसा का मंदिर
- चंदबावड़ी प्रसिद्ध हैं ।
- ये महामारु शैली में बना हुआ हैं ।
● नागौर के मंदिर
- चारभुजा नाथ का मंदिर –
- ये का हैं ।
- यहाँ मीरा रेदास तुलसी की आदमकद प्रतिमाएं हैं ।
- इसके अतिरिक्त मीरा मंदिर चित्तौड़ गढ़ में बना हुआ हैं ।
● जोधपुर का मंदिर
- रावण मंदिर – मंडोर जोधपुर
- यहाँ विजयदशमी के दीन रावण दहन नहीं किया जाता हैं ।
- ये आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता हैं ।
- हरिहर मंदिर –
- ओसियां जोधपुर
- पंचायतन शैली में पूजा होती हैं । ये प्रतिहार शैली में बना हुआ हैं ।
- महा मंदिर –
- जोधपुर
- मानसिंह ने निर्माण करवाया था ।
- यहाँ नाथ संप्रदाय का तीर्थ स्थल हैं।
- यहाँ “मन नाथी संप्रदाय ” की पीठ बनी हुई हैं ।
- 84 खंभों पर बना हुआ हैं ।
- वसुंधरा मंदिर
- अर्ध नारेश्वर मंदिर
● बाड़मेर का मंदिर
- हाथवा गाँव की पहाड़ियों
- पर अजमेर
- सोमेश्वर महादेव जी का मंदिर प्रतिहारों द्वारा बनाया गया ।
- ये नागर शैली में बनाया गया हैं ।
- नाकोंडा भैरव –
- यहाँ पार्श्वनाथ की पूजा होती हीं ।
- पार्श्वनाथ को भक्तों द्वारा “जागती जोत हाथ का हुजूर ” भी कहा जाता हैं ।
- मेवा नगर का तीर्थ स्थल कहा जाता हैं ।
- हलदेश्वर मंदिर –
- ये छप्पन की पहाड़ियों में सबसे उची पहाड़ी हलदेश्वर पहाड़ी पर बना हुआ हैं ।
- हलदेश्वर पहाड़ी पर बाने हुए महादेव शिव का मंदिर को मारवाड़ का मंदिर आबू कहा जाता हैं ।
- 56 का मैदान – प्रतापगढ़ तथा बांसवाड़ा के मध्य का भाग
- 56 का बेसिन – माही नदी के सिद्धांत क्षेत्र को कहा जाता हैं ।
- खेड़िया बाबा का मंदिर –
- खेड़ बाड़मेर
- ये रैबारियों के आराध्य देवता हैं
- जबकि रैबारियों के आराध्य लोकदेवता पाबुजी हैं ।
● जैसलमेर के मंदिर
- लोधरवा का जैन मंदिर – धीरुभाई बंसाली , लोधरवा की राजकुमारी मूमल थी ।
● बीकानेर के मंदिर
- भण्डासर जैन मंदिर – इसका उपनाम “त्रिलोक दीपक ” । ये राजस्थान का एकमात्र मंदिर हैं , जिसकी नीव “घी” से भरी गई ।
● हेरामब गणेश मंदिर
- जूनागढ़ बीकानेर
- यहाँ भगवान गणेश जी के सिंह पर सवार दिखाया गया हैं ।
- 33 करोड़ देवी देवताओ के मंदिर में मंदिर को बना हुआ था । इसकी साल – मंडोर जोधपुर में स्थितः हैं ।
● गंगानगर के गुरुद्वारे
- गुरुद्वारा बूढ़ा जोहड़ – ये रायसिंहनगर नगर में हैं । यहाँ प्रतिवर्ष श्रावणी मावस को मेल लगता हैं ।
- डाटा पंपाराम का डेरा – विजय नगर – गंगानगर
● चुरू के मंदिर
- सालासर बालाजी के मंदिर – इसका निर्माण मोहनदास , ये एकमात्र मंदिर हैं जिसमे बालाजी को दाढ़ी मुछ में दिखाया गाया हैं ।
- तिरुपति बालाजी का मंदिर – इसका निर्माण आंध्र प्रदेश के तिरुपति फाउंडेशन ट्रस्ट के सहयोग से सोहनलल जनोडिया के द्वारा ।
● सीकर के मंदिर
- खाटूश्याम जी का मंदिर – यहाँ दाढ़ी मुछ की मुखाकृति की पूजा होती हैं ।
- शब्द गौ मत सीकर की हैं ।
- हर्ष नाथ भेराव का मंदिर – हर्ष पहाड़ी सीकर पर हैं ।
● झुंझुनू का मंदिर
शारदा देवी का मंदिर पिलानी झुंझुनू में स्थित हैं ।
● भीलवाडा का मंदिर
- सवाई भोज के मंदिर – यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को मेला लगता हैं।
- हरणी महादेव का मंदिर – यहाँ प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी चतुर्दशी को मेला लगता हैं ।
- बारंदेवरा का मंदिर – जहाजपुर , भीलवाडा ।
- मंदाकिनी मंदिर – बीजोलिया भीलवाडा । यहाँ हजारेश्वर महादेव , उण्डेश्वर महादेव , महकलेश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ हीं ।
- तिलस्व महादेव जी का मंदिर – बीजोलिया भीलवाडा
● चित्तौड़गढ़ के मंदिर
- समीददेश्वर मंदिर –
- इसका निर्माण राजा भोज 11 वी शताब्दी में हुआ था ।
- पुनर्निर्माण – मोकल
- प्राचीन नाम – त्रिभुवन , जबकि त्रिभुवंगढ़ करौली में हैं जो की पान की खेती के लिए जाना जाता हैं ।
- सतबीस देवरी मंदिर
- सवालिया जी का मंदिर – मंडफिया
- मतरीकुंडिया धाम – राजश्री गाँव , इसे मेवाड़ का हरिद्वार , राजस्थान का हरिद्वार ।
- बाडोली का शिव मंदिर – ( जबकि बाडोली नामक स्थान उदयपुर में हैं। )
● प्रतापगढ़ के मंदिर
- सीता माता का मंदिर – सीतामाता अभ्यारण में स्थित हैं । यहाँ लव कुश का मंदिर बना हुआ हैं । जबकि लव कुश का जन्म बाराँ में हुआ था ।
- गोतमेश्वर मंदिर – अरणोद । भूरिया बाबा के रूप में की जाती हैं ।
● बांसवाड़ा के मंदिर
- अरथुना का मंदिर- अरथुना का शिव मंदिर बांसवाड़ा में स्थित है
- कालीजरा का जैन मंदिर- यह भी बांसवाड़ा में स्थित है
● डूंगरपुर के मंदिर
- बेणेश्वर धाम
- यह धाम नवापुरा डूंगरपुर में स्थित है
- यह विश्व का एकमात्र धाम है जहां पर खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है
- जहां माघ पूर्णिमा को मेला लगता है
- इसे आदिवासियों का कुंभ, वागड़ का पुष्कर, आदिवासियों का प्रयाग भी कहा जाता है
- यह सोम , माही ओर जाखम नदी के किनारे बसा हुआ है
- देव सोमनाथ मंदिर
- गवरी बाई का मंदिर- गवरी बाई को वागड़ कि मीरा भी कहा जाता है
● उदयपुर के मंदिर
- ऋषभदेव जी का मंदिर-
- यह कोयल नदी के किनारे बसा हुआ है
- ऋषभदेव जी जैनियों के पहले तीर्थंकर हैं
- इनकी पूजा सभी जाति के लोगों के द्वारा की जाती है
- प्रतिमा काले पत्थर की होने के कारण इन्हें काला जी भी कहा जाता है
- इन्हें अत्यधिक मात्रा में केसर चढ़ाई जाती है इस कारण इनको केसरिया नाथ भी कहा जाता है
- भील जाति के लोग काला जी के केसर का पानी पीकर झूठ नहीं बोलते हैं।
- एकलिंग नाथ जी का मंदिर
- यह कैलाशपुरी मानसरोवर उदयपुर में बसा हुआ है
- मेवाड़ के शासकों और सिसोदिया वंश के शासकों के कुलदेवता हैं
- इसका निर्माण बप्पा रावल ने करवाया था
- इसके परकोटे का निर्माण मोकल ने करवाया था
- सहस्त्रबाहु मंदिर
- यह मंदिर नागदा उदयपुर में स्थित है
- यहां पर 2 मंदिर है इनमें एक मंदिर पंचायतन शैली और दूसरा मंदिर महामारु शैली में बना हुआ है
- जो मंदिर बड़ा है वह महामारु शैली में बना हुआ है
- जो मंदिर छोटा है वह पंचायतन शैली में बना हुआ है
- जावर का विष्णु मंदिर
- महाराणा कुंभा की पुत्री रमाबाई यहां पर पूजा करती थी
- जगदीश मंदिर- इस मंदिर को सपने में बना हुआ मंदिर भी कहा जाता है
● राजसमंद के मंदिर
- श्रीनाथ जी का मंदिर
- इसका निर्माण महाराजा राज सिंह के समय हुआ था
- इस की प्रतिमा वृंदावन से लाई गई थी
- बल्लभ संप्रदाय का प्रमुख मंदिर है
- यह गुलाबी गणगौर के लिए प्रसिद्ध है
- केले के पत्तियों की सांझी के लिए प्रसिद्ध है
- द्वारिकाधीश मंदिर
- यह कांकरोली राजसमंद में है
- यहां अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है
- यहां पर टायर ट्यूब का कारखाना है
● पाली के मंदिर
- रणकपुर का जैन मंदिर
- यह मंदिर कुंभा के समय बनाया गया था और इसका वास्तु काट दे पार था
- यह 1444 खंभों पर टिका हुआ है
- इसी कारण इसे जाल वाला मंदिर कहा जाता है और यह जेनों के सपनों में बना हुआ मंदिर है
- आदिनाथ का मंदिर मथाय नदी के किनारे बसा हुआ है
- यह भगवान आदिनाथ को समर्पित है
- फालना का जैन मंदिर
- इसे राजस्थान का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है. यह स्थान छतरियों के लिए जाना जाता है।
- मूछ वाले महावीर जी का मंदिर
- भारत का एकमात्र महावीर जी का मंदिर जिन्हें मूछों में दिखाया गया है
- नारलाई का जैन मंदिर
- देलवाड़ा के जैन मंदिर
- इनके बारे में राजस्थान के इतिहास के जनक कर्नल जेम्स टॉड ने कहा है कि ताजमहल को छोड़कर कोई भी इमारत की बराबरी नहीं कर सकती है
- यहां पर प्रमुख पांच मंदिर है जिन्हें श्वेतांबर मंदिर कहा जाता है
- विमल और सही
- लूण और सही
- पीतलहर मंदिर
- पार्श्व नाथ जी का मंदिर
- महावीर स्वामी जी का मंदिर
- कुंवारी कन्या का मंदिर- इसे रसिया बालम भी कहा जाता है
- अचलेश्वर महादेव जी का मंदिर- यह अचलगढ़ सिरोही में स्थित है
- वशिष्ट जी का मंदिर- यह अचलगढ़ सिरोही में स्थित है