ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (चिश्ती सम्प्रदाय)
• जन्म स्थान संजरी (फारस )
• पिता – हजरत ख्वाजा सैयद • माता- बीबी साहेनूर
• अन्य नाम – गरीब नवाज
• गुरु – हजरत शेख उस्मान हारुनी
• मृत्यु – 1233 में अजमेर में ।
• रचित पुस्तक- ‘कंजुल इसरार’ ( 1215 ई. में) ‘आफताबे हिंद’ उपाधि से विभूषित।
मुहम्मद गौरी ने ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ‘सुल्तान-उल-हिन्द’ की उपाधि दी। ख्वाजा साहब पृथ्वीराज चौहान तृतीय के काल में राजस्थान आए तथा अजमेर को कार्यस्थली बनाया। उन्होंने राजस्थान में चिश्ती सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया।
अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह है जहाँ प्रतिवर्ष रज्जब माह की 1 से 6 रज्जब तक उसे का विशाल मेला लगता है। यह हिन्दू- मुस्लिम साम्प्रदायिक सद्भाव का सर्वोत्तम स्थल है अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह का निर्माण इल्तुतमिश ने करवाया था। मुगल बादशाह अकबर ने ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की व्यवस्था के लिए 18 गाँव दिए थे।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के लगभग एक हज़ार खलीफ़ा और लाखों मुरीद थे। कई पन्थों के सूफ़ी भी इनसे आकर मिल्ते और चिश्तिया तरीके से इनके साथ जुड जाते थे।
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