भारत सरकार अधिनियम 1935
भारत सरकार अधिनियम 1935 क्या है?
1935 का अधिनियम एक विस्तृत अधिनियम था| यह अंग्रेजों द्वारा भारत मे लागू की गयी अंतिम महत्वपूर्ण संवैधानिक व्यवस्था थी|
भारत सरकार अधिनियम 1935 के महत्वपूर्ण तथ्य –
● लार्ड लिनलिथगो की अध्यक्षता में ‘संयुक्त समिति’ की रिपोर्ट पर 4 अगस्त 1935 को ब्रिटिश सम्राट की अनुमति से यह अधिनियम बना|
● इस अधिनियम में संशोधन का अधिकार केवल ब्रिटिश संसद को था|
● संघ सूची राज्य सूची और समवर्ती सूची विषयो को इसी अधिनियम द्वारा विभाजित किया गया|
● प्रान्तों में द्वैध शासन का अंत भी इसी अधिनियम द्वारा हुआ|
● इस अधिनियम द्वारा केंद्र में द्वैध शासन लागू किया गया तथा प्रान्तों में स्वशासन लागू किया गया|
● इस अधिनियम द्वारा लंदन स्थित भारत मंत्री की ‘भारत परिषद’ को समाप्त कर दिया गया|
● इस अधिनियम द्वारा 1935ई. में ‘वर्मा’ को भारत से अलग कर दिया| व दो नए प्रान्त उड़ीसा व सिंध का निर्माण हुआ|
● भारत मे संघात्मक सरकार की स्थापना इसी अधिनियम द्वारा की गयी|
● इस एक्ट द्वारा संघ में अवशिष्ट शक्तियां गवर्नर जनरल में निहित थी|
● 1935 के अधिनियम में 451 धाराएं, 10 अनुसूचियां थी| यह यह एक्ट लगभग 450 पृष्ठों में लिखा गया था जिसमे कुल 14 खण्ड थे|
● यह अधिनियम भारत की स्वतंत्रता के बाद भी नया संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) तक चला|
● भारतीय संविधान वस्तुतः इसी अधिनियम पर आधारित है|
पं. जवाहर लाल नेहरू के शब्दों में “यह अनेक ब्रेकों वाली इंजन रहित गाड़ी है|”
जिन्ना के शब्दों में “पूर्णत सड़ा और मूल रूप से बुरा”
एटली के शब्दों में “इस अधिनियम में भारत के भविष्य की राजनीतिक प्रगति का कोई कार्यक्रम नही है|”
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