अटल बिहारी वाजपेयी बायोग्राफी
- पूरा नाम – अटल बिहारी वाजपेयी
- पद/कार्य – भारत के 10वें प्रधानमंत्री (अटल दो बार भारत के प्रधानमंत्री बनें)
- राष्ट्रपति – डॉ. शंकर दयाल शर्मा, के.आर. नारायणन, डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम
- पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री (प्रथम बार) – पी. वी. नरसिंहराव
- परवर्ती प्रधानमंत्री (प्रथम बार) – एच. डी. देवगौड़ा
- पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री (द्वितीय बार) – इंद्रकुमार गुजराल
- परवर्ती प्रधानमंत्री (द्वितीय बार) – डॉ. मनमोहन सिंह
- जन्म – 25 दिसम्बर 1924 ग्वालियर, मध्यप्रदेश
- मृत्यु – 16 अगस्त 2018 (93 साल की उम्र)
- राजनैतिक दल – भारतीय जनता पार्टी (BJP)
- कार्यकाल – पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर दूसरी बार 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
- धर्म – हिन्दू
- पिता का नाम – कृष्णा बिहारी वाजपेयी
- माता का नाम – कृष्णा देवी
- विवाह – अविवाहित
- संतान – नमिता उनकी दत्तक पुत्री
अटल जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। अटल जी के 7 भाई बहन थे। उनके पिता कृष्णा बिहारी स्कूल टीचर व कवी थे। स्वरास्ती स्कूल से स्कूलिंग करने के बाद अटल जी ने लक्ष्मीबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया, इसके बाद उन्होंने कानपूर के DAVV कॉलेज से इकोनोमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उन्होंने लखनऊ के लॉ कॉलेज में आगे पढ़ने के लिए आवेदन भी दिया, लेकिन फिर उनका पढाई में मन नहीं लगा और वे आरएसएस द्वारा पब्लिश मैगजीन में एडिटर का काम करने लगे। अटल जी को एक बहुत अच्छे पत्रकार, राजनेता व कवी के रूप में जाना जाता है। अटल जी ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उन्होंने B N कॉल की 2 बेटियां नमिता और नंदिता को गोद लिया था। अटल जी सच्चे देश भक्त रहे, पढाई करते समय भी वे आजादी की लड़ाई में बड़े बड़े नेताओं के साथ खड़े रहे। वे उस समय बहुत से हिंदी न्यूज़ पेपर के एडिटर भी रहे।
अटल जी का राजनैतिक सफ़र स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में शुरू हुआ। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में बाकि नेताओं के साथ उन्होंने भाग लिया और जेल भी गए, इसी दौरान उनकी मुलाकात भारतीय जनसंघ के लीडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई। अटल जी ने मुखर्जी जी के साथ राजनीती के दाव पेंच सीखे। मुखर्जी जी का स्वास्थ ख़राब रहने लगा और जल्दी ही उनकी मौत हो गई, इसके बाद अटल जी ने ही भारतीय जनसंघ की बागडौर संभाल ली और इसका विस्तार पुरे देश में किया।
1954 में बलरामपुर से वे मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट चुने गए। जवानी के दिनों में भी अटल जी को अपनी सोच व समझ के कारण राजनीती में काफी आदर व सम्मान मिला। 1968 में दीनदयाल उपाध्या की मौत के बाद अटल जी जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। इसके बाद उन्होंने कुछ सालों तक नानाजी देसाई, बलराज मध्होक व लाल कृष्ण आडवानी के साथ मिलकर जन संघ पार्टी को भारतीय राजनीती में आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की। 1977 में भारतीय जन संघ पार्टी ने भारतीय लोकदल के साथ गठबंधन कर लिया, जिसे जनता पार्टी नाम दिया गया। जनता पार्टी ने बहुत जल्दी ग्रोथ की और लोकल चुनाव में उसे सफलता भी मिली, इसके बाद जनता पार्टी के लीडर मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री बने और सत्ता में आये तब अटल जी को एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर बनाया गया। इसी के बाद वे चाइना व पाकिस्तान दौरे में गए, जहाँ उन्होंने इस देशों से भारत के संबंध सुधारने का प्रस्ताव रखा। 1979 में जब मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, तब जनता पार्टी भी बिखरने लगी। अटल जी ने 1980 में लाल कृष्ण आडवानी व भैरव सिंह शेखावत के साथ मिल कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनाई, और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। अगले पांच सालों तक अटल जी ही पार्टी के अध्यक्ष रहे। 1984 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ 2 सीट से हारी, जिसके बाद अटल जी ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जी तोड़ काम किया और पार्लियामेंट के अगले चुनाव 1989 में बीजेपी 88 सीटों की बढ़त के साथ आगे रही। 1991 में विपक्ष की मांग के चलते एक बार फिर पार्लियामेंट में चुनाव हुआ, जिसमें एक बार फिर बीजेपी 120 सीटों के साथ आगे रही। 1993 में अटल जी सांसद में विपक्ष के लीडर बनके बैठे। नवम्बर 1995 में मुंबई में हुई बीजेपी कांफ्रेंस में अटल जी को बीजेपी का प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित किया गया।
1996 में हुए चुनाव में बीजेपी एक अकेली सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी थी। मई 1996 में बीजेपी को जीत मिली और अटल जी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया। लेकिन बीजेपी को दूसरी पार्टियों से सपोर्ट नहीं मिला, जिस वजह से बीजेपी सरकार गिर गई और मात्र 13 दिन में अटल जी को पद से इस्तीफा देना पड़ा। 1996 से 1998 के बीच में 2 बार दूसरी सरकारें बनी लेकिन सपोर्ट ना मिलने से वे भी गिर गई. इसके बाद बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल डोमेस्टिक पार्टी (NDA) का गठन किया. बीजेपी फिर सत्ता में आई लेकिन इस बार भी उनकी सरकार 13 महीने की रही, अन्ना द्रविदा मुन्नेत्रा पार्टी ने अपना सपोर्ट वापस ले लिया था। 1999 में कारगिल में हुई भारत पाकिस्तान के युद्ध में भारत को मिली विजय ने अटल जी की सरकार को और मजबूत बना दिया। इस जीत से लोग उन्हें एक अच्छे भावी लीडर के रूप में देखने लगे। इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी ने NDA को फिर से मजबूत किया, और चुनाव में खड़े हुए। कारगिल की जीत से भारतवासी बहुत प्रभावित हुए, और सबने बीजेपी को फिर से जीता दिया, जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। बाजपेयी सरकार ने इस बार पुरे 5 साल पुरे किये, और पहली नॉन कांगेस पार्टी बन गई. सभी पार्टीयों के सपोर्ट से अटल जी ने निर्णय लिया कि वे देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए प्राइवेट सेक्टर को आगे बढ़ाएंगे। अटल जी की मुख्य योजनायें नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना रही। अटल जी विदेश में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दिया व आईटी सेक्टर के प्रति लोगों को जागरूप किया। सन 2000 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आये, इस दौरे का दोनों देश की प्रगति व रिश्ते में बहुत प्रभाव पड़ा। 2001 में अटल जी ने पाकिस्तान के रास्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ को भारत आने का न्योता भेजा। वे चाहते थे भारत पाक के रिश्तों में सुधार हो, आगरा में हुई ये वार्ता आज तक लोगों को याद है। इसके बाद लाहौर के लिए बस भी शुरू हुई जिसमें खुद अटल जी ने सफ़र किया। लेकिन उनकी ये मुहीम सफल नहीं रही, अटल जी की फोरेन पालिसी ने बहुत बदलाव नहीं किया, लेकिन इस बात को जनता ने बहुत सराहा। 2001 में अटल जी ने सर्व शिक्षा अभियान की भी शुरुवात की। आर्थिक सुधार के लिए अटल जी ने बहुत सी योजनायें शुरू की, जिसके बाद 6-7 % ग्रोथ रिकॉर्ड की गई। इसी समय पूरी दुनिया में भारत का नाम जाना जाने लगा। 2004 में कांग्रेस की जीत के साथ अटल जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सन 2005 में अटल जी ने राजनीती से रिटायरमेंट की बात घोषित कर दी। इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में उन्होंने हिस्सा भी नहीं लिया।
अगर अवॉर्ड की बात करें तो 1992 में देश के लिए अच्छे कार्य करने के कारण अटल जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1994 में उनको बेस्ट सांसद का अवार्ड मिला। 2014 में देश के सर्वोच्य सम्मान भारत रत्न से अटल जी को सम्मानित किया गया। ये सम्मान उनके जन्म दिन 25 दिसम्बर को रास्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उनके निवास स्थान पर दिया गया। अटल जी के लिए पहली बार किसी राष्ट्रपति ने प्रोटोकॉल तोड़ कर घर जाकर सम्मान दिया।
इस महान राजनेता ने अपने जीवन की अंतिम सांस दिल्ली के एम्स में 16 अगस्त, 2018 को ली। इनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक इनका निधन निमोनिया और बहु अंग विफलता के कारण हुआ। गौरतलब है कि अटल जी लंबे समय से बीमार थे और साल 2009 में ये स्ट्रोक का भी शिकार हो गए। जिसके कारण इनके सोचने समझने की क्षमता पर असर पड़ा और ये धीरे धीरे डिमेंशिया नामक बीमारी से ग्रस्त हो गए।