जलियांवाला बाग (अमृतसर) के महत्वपूर्ण तथ्य


जलियांवाला बाग (अमृतसर) के महत्वपूर्ण तथ्य
➥ जलियांवाला बाग हत्याकांड पंजाब के अमृतसर में हुआ था
➥ जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना 13 अप्रैल 1919 को हुआ था
➥ जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना अमृतसर कांड के नाम से भी जाना जाता है
➥ इस कांड में जनरल डायर ने हजारों लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाया था
➥ इस घटना में हजारों लोगों की मौत और 2000 से अधिक लोग घायल हुए थे
➥ ब्रिटिश राज के अभिलेखों के अनुसार इस कांड में 200 लोग घायल हुए और 379 लोग शहीद हुए
➥ जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मरे इसका सही अंदाजा किसी को नहीं कुछ लोगों के आंकड़े
पंडित मदन मोहन मालवीय के अनुसार करीब 1300 लोग मरे
स्वामी श्रद्धानंद के अनुसार मरने वालों की संख्या 1500 से अधिक थी
अमृतसर के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर स्मिथ के अनुसार करीब 1800 लोग मारे गए थे
➥ इस घटना में 90 ब्रिटिश सैनिकों ने अंधाधुंध हजारों गोलियां चलाई थी
➥ जलियांवाला बाग में करीब 10 मिनट तक गोलियां चलाई गई थी
➥ ज्यादातर गोलियां दरवाजों की तरफ चलाई गई थी ताकि कोई जिंदा बाहर ना जा सके
➥ इन गोलियों के निशान आज भी जलियाबाग की दीवारों पर देखी जा सकती है
➥ गोलियों से बचने के लिए लोग एकमात्र कुएं में कूद पड़े थे
➥ कुए से 120 लाशें निकाली गई थी
➥ इस घटना के समय जलियांवाला बाग में करीब 5000 लोग मौजूद थे
➥ इस घटना में 41 नाबालिग बच्चों और एक 6 सप्ताह के बच्चे का भी निधन हुआ था
➥ कई विशेषज्ञ की मानें तो जलियांवाला बाग की घटना की वजह से हमें आजादी मिली
➥ क्योंकि इस घटना ने हिंदुस्तानियों में अंग्रेजो के खिलाफ आग बढ़ा दी
➥ इस घटना ने भगत सिंह जैसे नव युवकों के अंदर देश की लड़ाई में नया जुनून पैदा की
➥ इस घटना से पहले ही अमृतसर में मार्शल लॉ लगाया गया था जिससे लोग बेखबर थे
➥ जलियांवाला बाग की घटना बैसाखी जैसे शुभ दिन को हुई थी
➥ जलियांवाला बाग कभी जलली नामक आदमी की संपत्ति थी
➥ इस घटना के समय शहर में कर्फ्यू लगा दी गई थी और सभी अस्पताल बंद थी
➥ यह घटना रौलेट एक्ट के विरोध के कारण हुआ था जिसके अनुसार अंग्रेज अपने विरोधियों को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकते थे
➥ 13 मार्च 1940 को लंदन में महान स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह ने जनरल डायर को मारकर इस हत्याकांड का बदला लिया
➥ 1997 में महारानी एलिजाबेथ ने यहां के स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी
➥ 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन यहां आए और इसे ब्रिटिश इतिहास में शर्मनाक बताया।
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